सोमवार, 2 मार्च 2020

मिर्ज़ा ग़ालिब ने कभी अपना घर नहीं बनाया




        मिर्ज़ा ग़ालिब के चाचा का रिश्ता लोहारु के नवाब के ख़ानदान में हुआ था मिर्ज़ा ग़ालिब की शादी नवाब अहमद बख़्श ख़ान के छोटे भाई मिर्ज़ा इलाही बख़्श खान की बेटी उमराव बेगम से हो गई   उस समय मिर्जा ग़ालिब 13 वर्ष तथा उमराव बेगम 11 वर्ष के थे शादी के कुछ ही समय बाद ग़ालिब दिल्ली में रहने लगे तथा अन्तिम समय तक दिल्ली में ही रहे

        मिर्ज़ा ग़ालिब दिल्ली में लगभग पचास साल रहे इस पूरे समय में उन्होंने अपने लिए कोई मकान नहीं खरीदा हमेशा किराये के मकान में रहे हाँ इतना ज़रुर है कि काफ़ी समय तक अपने प्रिय दोस्त मुहम्मद नसीरुद्दीन उर्फ़ मियाँ काले के मकान में बिना किराए के रहे थे जब किसी मकान से जी उकता जाता था तो मकान बदल लेते थे सब से आख़िरी मकान जिस में उनका देहान्त हुआ वह एक मस्जिद के पीछे व उस से मिला हुआ था  उस मकान के बारे में ग़ालिब कहा करते थे  :

 मस्जिद के ज़ेर--साया, इक घर बना लिया है,
 ये बन्दः--कमीना, हमसायः--खुदा है

        जिस तरह मिर्ज़ा ग़ालिब ने रहने के लिए कभी मकान नहीं खरीदा, उसी तरह पढ़ने के लिए कभी कोई किताब नहीं खरीदी एक आदमी दुकानों से किराए पर किताबें लाया करता था, उसी से मिर्ज़ा ग़ालिब भी किताबें मंगवाते थे और पढ़ कर वापस कर दिया करते थे  

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