है किस क़दर हलाक-ए फ़रेब-ए वफ़ा-ए गुल
( पिछ्ली पोस्ट से आगे)
(Original काले तथा रूपांतरण लाल रंग में)
पिछ्ली पोस्ट में पाँच शे'र प्रस्तुत किये थे. उसी रचना के शेष चार शे'र का रूपांतरण प्रस्तुत है.
मेरी इस तुच्छ कोशिश का जो उत्साह्वर्धन मुझे मिला उसके लिये मैं सदैव आभारी रहूंगा. एक आलोचना भी फेसबुक के माध्यम से प्राप्त हुई जिसके लिये भी आभारी हूँ. आलोचना तथा उस पर अपनी प्रतिक्रिया अगली पोस्ट में....
आज़ादी-ए नसीम मुबारक कि हर तरफ़
टूटे पड़े हैं हलक़ा-ए दाम-ए हवा-ए गुल
टूटे पड़े हैं हलक़ा-ए दाम-ए हवा-ए गुल
हो धन्य वो स्वतंत्रता जो इस पवन में है,
टूटे सुमन-सुगंध
के ताले चमन में हैं .
जो था सो मौज-ए रंग के धोखे में मर गया
ऐ वाए नाल:-ए- लब-ए ख़ूनीं-नवा-ए गुल
जो था सो मौज-ए रंग के धोखे में मर गया
ऐ वाए नाल:-ए- लब-ए ख़ूनीं-नवा-ए गुल
ख़ूनी विलाप पुष्प को रंगीन करे है,
हर कोई फिर क्यूँ
रंग पे पुष्पों के मरे है.
ख़ुश-हाल उस हरीफ़े-सियह-मस्त का कि जो
रखता हो मिस्ल-ए साया-ए गुल सर ब’ पा-ए गुल
ख़ुश-हाल उस हरीफ़े-सियह-मस्त का कि जो
रखता हो मिस्ल-ए साया-ए गुल सर ब’ पा-ए गुल
है धन्य वो बद्मस्त जो प्रेयसी का बन के दास,
छाया की तरह रखता है सर भी चरण के पास.
सतवत से तेरे जलव:-ए हुस्न-ए
ग़यूर की
ख़ूं है मिरी निगाह में रंग-ए अदा-ए गुल
ख़ूं है मिरी निगाह में रंग-ए अदा-ए गुल
मेरे हृदय पे छाया तेरे रूप का प्रताप,
अन्यत्र देखना
भी समझता हूँ घोर पाप
मुझे लगता है कि अंतिम शे'र में प्रेम का वो रूप नज़र आता है जो किसी भक्त या सूफ़ी
मुझे लगता है कि अंतिम शे'र में प्रेम का वो रूप नज़र आता है जो किसी भक्त या सूफ़ी
की आराधना की बुनियाद होता है.
धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
जवाब देंहटाएंचूंकि मुझे (और सामान्य हिन्दुस्तानी जानने वाले को) उर्दू के कुछ शब्दों का हल्का ज्ञान है; मैं स्वतन्त्रता के स्थान पर आज़ादी और पुष्प के स्थान पर फ़ूल को ज्यादा फ़ोर्सफुल मानता।
बकिया; मज़ा आ रहा है पढ़ने में! :)
धन्यवाद ज्ञानदत्त जी. 'फूल' के बारे में आप की राय से पूरी तरह सहमत हूँ. 'आज़ादी' के बारे में मैंने भी सोचा था पर 'स्वतंत्रता' syllables के हिसाब से फ़िट बैठ रहा था. आप की राय की क़द्र करता हूँ. कृपया अपनी बहुमूल्य राय से इसी तरह अवगत करते रहिये.धन्यवाद.
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