किस वास्ते
अज़ीज़ नहीं जानते मुझे?
लाल-ओ-ज़मुर्रुदो-ज़र-ओ-गौहर नहीं हूँ मैं
लाल-ओ-ज़मुर्रुदो-ज़र-ओ-गौहर नहीं हूँ मैं
क्यूँ नहीं रखते
मुझे अपने क़रीब,
रखते हो तुम
क़दम मेरी आँखों से क्यों दरेग़
रुतबे में मेहर-ओ-माह से कमतर नहीं हूँ मैं
रुतबे में मेहर-ओ-माह से कमतर नहीं हूँ मैं
मेरी पलकों पर
नहीं रखते क़दम,
मुझ को आँका चांद
तारों से भी कम.
करते हो मुझको
मनअ़-ए-क़दम-बोस किस लिये
क्या आसमान के भी बराबर नहीं हूँ मैं?
क्या आसमान के भी बराबर नहीं हूँ मैं?
रोकते हो क्यूँ
चरण-स्पर्श से ?
क्या मैं कुछ कम
हूँ तुम्हारे फ़र्श से ?
'ग़ालिब'
वज़ीफ़ाख़्वार हो, दो शाह को दुआ
वो दिन गये कि कहते थे "नौकर नहीं हूँ मैं"
वो दिन गये कि कहते थे "नौकर नहीं हूँ मैं"
हो गये नौकर, उड़ा सारा ग़ुरूर,
हाथ बांधो और बोलो “जी हुज़ूर”
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